Tuesday 6 January 2015

अंबवा की छाँव




चाँद आरसी में चाँदनी संवरती है ।
सूनी-सूनी रातों में कल्पना मचलती है ।।
चटख रही कलियां भंवर ने ली सुधियां
महक रही बगिया चहक उठी चिड़िया ।
सुमन के अंगना में तितली थिरकती है
सूनी-सूनी रातों में कल्पना मचलती है ।।
नदी-नद ताल कहां, पत्तियों की नाव कहां
संगी साथ गांव कहां, अंबवा की छांव कहां
 जहां चौपालो पे समता पलती है।
सूनी-सूनी रातों में कल्पना मचलती है ।।
किसने तान छेड़ी कैसी स्वर माया ।
किसने हवाओं में आँचल लहराया ।।
कौन मेरे हिय में कविता रचती है ।
सूनी-सूनी रातों में कल्पना मचलती है ।।

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