चाँद आरसी
में चाँदनी संवरती है ।
सूनी-सूनी
रातों में कल्पना मचलती है ।।
चटख रही
कलियां भंवर ने ली सुधियां
महक रही
बगिया चहक उठी चिड़िया ।
सुमन के
अंगना में तितली थिरकती है
सूनी-सूनी
रातों में कल्पना मचलती है ।।
नदी-नद
ताल कहां, पत्तियों की नाव कहां
संगी साथ
गांव कहां, अंबवा की छांव कहां
जहां चौपालो पे समता पलती है।
सूनी-सूनी
रातों में कल्पना मचलती है ।।
किसने तान
छेड़ी कैसी स्वर माया ।
किसने
हवाओं में आँचल लहराया ।।
कौन मेरे
हिय में कविता रचती है ।
सूनी-सूनी
रातों में कल्पना मचलती है ।।
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