रिम-झिम रिम-झिम
सावन बरसे ।
घिर-घिर आए कारे
बदरा ।
उमड़-घुमड़ चहुं
दिश ते आये
मोहे सताये कारे
बदरा ।।1।।
घम-घम-घम-घम मेघा
गरजे ।
चम-चम-चम-चम
बिजुरी चमके ।।
धक-धक होये मोरो
जियरा ।
काहे डराये कारे
बदरा ।।2।।
पिया मिलन को
प्रेयसी तरसे ।
विरहणी के नयना
बरसे ।।
बहि-बहि जाये
मोरो कजरा ।
रास न आये
कारे बदरा ।।3।।
बल खाती
नदियां नाव न रोको ।
चंचल
हिलोरिया राह न रोको ।
परले पार
मोरो हियरा ।
मोहे न
भावे कारे बदरा ।।4।।
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