Tuesday 6 January 2015

सावन(गीत)




रिम-झिम रिम-झिम सावन बरसे ।
घिर-घिर आए कारे बदरा ।
उमड़-घुमड़ चहुं दिश ते आये
मोहे सताये कारे बदरा ।।1।।
घम-घम-घम-घम मेघा गरजे ।
चम-चम-चम-चम बिजुरी चमके ।।
धक-धक होये मोरो जियरा ।
काहे डराये कारे बदरा ।।2।।
पिया मिलन को प्रेयसी तरसे ।
विरहणी के नयना बरसे ।।
बहि-बहि जाये मोरो कजरा ।
रास न आये कारे बदरा ।।3।।
बल खाती नदियां नाव न रोको ।
चंचल हिलोरिया राह न रोको ।
परले पार मोरो हियरा ।
मोहे न भावे कारे बदरा ।।4।।

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