घुटने-घुटने
कीचड़ गले-गले है पानी ।
आदिवासी
जीवन अलिखित है कहानी ।।
टूटे है
दरवाजे खुली है खिड़कियां ।
नीरद के
बजे बाजे चमकती है बिजलियां ।।
छतों की
चक्षुओं से टपक रहा है पानी ।
आदिवासी
जीवन अलिखित है कहानी ।।
निर्वस्र
नंगे पांव जंगलों मे घूमते है ।
भूःख के
सताये जीविका ढूंढते है ।।
निर्मोह
जुल्म ढाती ग्रीष्म की जवानी ।
आदिवासी
जीवन अलिखित है कहानी ।।
मुस्कराना
झूमना बजाना नाचना ।
गीतों
का इनके दर्द क्या समझेगा जमाना ।.
भगोरे
बजार लाये संध्या बड़ी सुहानी ।
आदिवासी
जीवन अलिखित है कहानी ।।
योजनाएं
बनाना छोड़ मेरे देश के नेता ।
सहते है
जुल्म ये तू कुछ नहीं देता ।।
इनके
लिये है सारी दुनिया की बेगानी ।
आदिवासी
जीवन अलिखित है कहानी ।।
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