नख से शिख
तक, शिख से नख तक ,
रस छंद
बन्द कविता भाषा ।
तुम
सुन्दरता से भी सुन्दर ,
हो
सुन्दरता की परिभाषा ।।
तुम उपमा
चाँद सितारों की ,
या उपमा
चाँद सितारे है ।
तुम हो
ऋतु-यौवन का वर्णन
करती
गुणगान बयारे है ।
भौरों की
चाहत सुमन सही
तुम हो
सुमनों की अभिलाषा ।
तुम
सुन्दरता से भी सुन्दर
हो
सुन्दरता की परिभाषा।।1।।
तुम कौन
सुन्दरी मौन-मौन,
क्यों रुप
छुपाती आँचल में ।
भीगी
वसुधा सौंधी सुगंध
हो दिव्य
कल्पना जिज्ञासा ।
तुम
सुन्दरता से भी सुन्दर
हो
सुन्दरता की परिभाषा ।।2।।
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