दुनिया की भीड़
से तू बच के निकल ।
नन्हे-नन्हे पाँव
तेरे होले-होले चल ।।
यह दुनिया स्वारथ
का मेला ।
झूठ की नगरी सत्य
अकेला ।।
धरम भटकता निर्जन
वन ।
नन्हे-नन्हे पाँव
तेरे होले-होले चल ।।
पाप धरा पर है
गहराया ।
मानव पर दानव का
साया ।
है प्रभु देना
बुद्धि-बल ।
नन्हे-नन्हे पाँव
तेरे होले-होले चल ।।
शान्ति का पाठ
पढ़ाता भारत ।
विश्व गुरु
कहलाता भारत ।।
ज्ञान की गंग रहे
अविरल ।
नन्हे-नन्हे पाँव
तेरे होले-होले चल ।।
गौरव गान हिमालय
गाता ।
मन्त्र मुग्ध
सुर-पुर ललचाता ।।
चन्दन माटी अमृत
जल ।
नन्हे-नन्हे पाँव
तेरे होले-होले चल ।।
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