लंबी है डगरिया
चल-चल-चल ।
बीते रे उमरिया
पल-पल-पल।।
कल आने वाला सूरज
देखा नही देखा ।
कौन जाने भाग्य
विधी का लेखा ।।
सत्कर्मो से होगा
धर्म प्रबल ।
बीते रे उमरिया
पल-पल-पल ।।1।।
भोग विलास व्यसन
दल-दल ।
छोड़ झूट पाप कपट
छल-छल।।
दुनिया के माया
जाल से निकल ।
बीते रे उमरिया
पल-पल-पल ।।2।।
मातृ भूमि का
कर्ज उतारें ।
अपना जीवन आप
सवारें ।।
सन्तो सा हृदय हो
सहज सरल।
बीते रे उमरिया
पल-पल-पल ।।3।।
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