Tuesday 6 January 2015

लंबी है डगरिया




लंबी है डगरिया चल-चल-चल ।
बीते रे उमरिया पल-पल-पल।।
कल आने वाला सूरज देखा नही देखा ।
कौन जाने भाग्य विधी का लेखा ।।
सत्कर्मो से होगा धर्म प्रबल ।
बीते रे उमरिया पल-पल-पल ।।1।।
भोग विलास व्यसन दल-दल ।
छोड़ झूट पाप कपट छल-छल।।
दुनिया के माया जाल से निकल ।
बीते रे उमरिया पल-पल-पल ।।2।।
मातृ भूमि का कर्ज उतारें ।
अपना जीवन आप सवारें ।।
सन्तो सा हृदय हो सहज सरल।
बीते रे उमरिया पल-पल-पल ।।3।।

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