Tuesday 6 January 2015

मुक्तक


प्रीत मीत गीत रीति रास लेखनी
मन शरीर प्राण हर एक सांस लेखनी ।।
अनल समीर नीर कंट धार पर चले ।
पर्वत की शिखाओं से करे बात लेखनी ।।

2
मन सुमन सुमन मन अर्पित ।
तन मन धन मृदु भाव समर्पित ।।
स्वप्न प्रश्न प्रिय-प्राण चढ़ाऊं ।
मातृभूमि सर्वस्व समर्पित ।।

3
हमारे गीत माँ तुम्हारे हैं ।
ख्वाब अरमान सब तुम्हारे हैं ।
देश की है अमानत हर धड़कन ।
भारती लाल हम तुम्हारे हैं ।।

4
आस्था कमजोर है बीमार है ।
श्रद्धा वृद्धा की तरह लाचार है ।।
देवालय में देवता सहमा हुआ ।
दानवों से मानवी आचार है ।।

5
उसकी धरती उसका अंबर है ।
मोह माया का जग समन्दर है ।।
मृत्यु से भय तुझे है क्यों जीवन ।
वो बावुल का ये पिया घर है ।

6
धरती ने सजाया है आंगन ।
रस बरसेगा आज गगन ।।
हर्षित तन मन ऋतु बसंत ।
माँ सरस्वती वन्दन वन्दन ।।

7
दर्द जब हद से गुजर जाता है ।
गीत बन कागज पे उभर आता है ।।
गीत की तकदी र वाह क्या कहना ।
लय बन अधरों पे सवर जाता है ।

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