दुनिया गोल-गोल है (व्यंग्य)
माया बेटी पसंद है कहे दुल्हे का बाप ।
संबंधी माया दो मुझे दहेज लेना पाप।
पाप का बाप लोभ है ।।
पहले दुल्हन का पिता वर की मांग भरे ।
दुल्हा राजा बाद में वधु की मांग भरे।
यह बढ़ती मांग रोज है ।।
पाकर दुल्हन चांद सी, रोटी – सी फूली सास ।
सहमें सासू नाम से बहू की फूले सांस ।
कांपता रोम-रोम है ।।
पहली रजनी ही पिया पैंच में जो फंसा जाये ।
जीवन भर अर्धांगिनी कन कौवे सा उड़ाय ।
अनूठी प्रेम डोर है ।।
अपनी बारी आय जब सब पलटी खा जाय ।
सौ-सौ चूहे मार कर बिल्ली हज को जाय ।
यह दुनिया गोल- गोल है ।।
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