Tuesday 6 January 2015

दुनिया गोल-गोल है (व्यंग्य)




माया बेटी पसंद है कहे दुल्हे का बाप ।


संबंधी माया दो मुझे दहेज लेना पाप।


पाप का बाप लोभ है ।।


पहले दुल्हन का पिता वर की मांग भरे ।


दुल्हा राजा बाद में वधु की मांग भरे।


यह बढ़ती मांग रोज है ।।


पाकर दुल्हन चांद सी, रोटी – सी फूली सास ।


सहमें सासू नाम से बहू की फूले सांस ।


कांपता रोम-रोम है ।।


पहली रजनी ही पिया पैंच में जो फंसा जाये ।


जीवन भर अर्धांगिनी कन कौवे सा उड़ाय ।


अनूठी प्रेम डोर है ।।


अपनी बारी आय जब सब पलटी खा जाय ।


सौ-सौ चूहे मार कर बिल्ली हज को जाय ।

यह दुनिया गोल- गोल है ।।

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