आन-मान
बुद्धि ज्ञान तू ही प्राण है।
माँ तू
हमारी लेखनी तू ही कृपाण है ।।
हम लड़े
जिए मरे स्वदेश के लिए
हमारी
एक-एक सांस देश के लिए
हम देश
के भविष्य भूत वर्तमान है
माँ तू
हमारी लेखनी तू ही कृपाण है ।।1।।
सुपंथ
पर बढ़े चलें माँ इच्छा शक्ति दे
समर्पण
के गीत लिखे श्रद्धा भक्ति दे ।।
सुर-ताल
छंद मधुर कंठ तेरा गान है ।
माँ तू
हमारी लेखनी तू ही कृपाण है ।
डरते
नही माँ भारती के लाल काल से
पुण्य
धरा धूल धरे नित्य भाल पे ।
रगों में
प्रवाहित रुधिर का तू उफान है ।
माँ तू हमारी
लेखनी तू ही कृपाण है ।