Tuesday 6 January 2015

मातृ वंदना




आन-मान बुद्धि ज्ञान तू ही प्राण है।
माँ तू हमारी लेखनी तू ही कृपाण है ।।
हम लड़े जिए मरे स्वदेश के लिए
हमारी एक-एक सांस देश के लिए
हम देश के भविष्य भूत वर्तमान है
माँ तू हमारी लेखनी तू ही कृपाण है ।।1।।
सुपंथ पर बढ़े चलें माँ इच्छा शक्ति दे
समर्पण के गीत लिखे श्रद्धा भक्ति दे ।।
सुर-ताल छंद मधुर कंठ तेरा गान है ।
माँ तू हमारी लेखनी तू ही कृपाण है ।
डरते नही माँ भारती के लाल काल से
पुण्य धरा धूल धरे नित्य भाल पे ।
रगों में प्रवाहित रुधिर का तू उफान है ।
माँ तू हमारी लेखनी तू ही कृपाण है ।

कुर्बान जाओ तुम (गीत)




मेरे वतन के नौजवानो जाग जाओ तुम
आग जो लगी है चमन में बुझाओ तुम
मन्दिर मस्जिद में उलझ कर ना तुम रहो ।
इंसानियत ही धर्म है इसके लिए लड़ो ।।
प्रेम एकता के मधुर गीत गाओ तुम ।
आग जो लगी है चमन में बुझाओ तुम ।।1।।
दे रही आवाज़ तुम्हे माता भारती ।
धरोहरे बचाओ यह रह-रह पुकारती ।।
भारत की आन-बान पे कुर्बान जाओ तुम ।
आग जो लगी है चमन में बुझाओ तुम ।।2।।
आज आ गया है वक्त देश भक्ति का ।
दुश्मन को तुम करा दो ज्ञान अपनी शक्ति का ।।
वक्त ना गवाओ रण में कूद जाओ तुम ।
आग जो लगी है चमन में बुझाओ तुम।।3।।
माँ की तरफ हाथ उठे कोई तो फोड़ डालना
बुरी नज़र उठे कोई तो फोड़ डालना ।।
दूध ना लजाओगे सौगंध खाओ तुम ।
आग जो लगी है चमन में बुझाओ तुम ।।4।।

माँ (गीत)




तू धरती व्योम समंदर है ।
दुनिया में सबसे सुंदर है ।।
प्यारी-प्यारी भोली सूरत ।
माँ तू है ममता की मूरत।।
प्रभु में तुझमें क्या अंतर है ।
दुनिया में सबसे सुंदर है  ।।1।।
तेरे आँचल की छांया में।
तेरी ममता की माया में ।।
कुदरत का जादू मन्तर है ।
दुनिया में सबसे सुंदर है ।।2।।
मीठी-मीठी लोरी गाना ।
थपकी दे-दे दुलराना ।।
माँ का आशीष निरंतर है ।
दुनिया में सबसे सुन्दर है ।।3।।

हौले-हौले चल (गीत)




दुनिया की भीड़ से तू बच के निकल ।
नन्हे-नन्हे पाँव तेरे होले-होले चल ।।
यह दुनिया स्वारथ का मेला ।
झूठ की नगरी सत्य अकेला ।।
धरम भटकता निर्जन वन ।
नन्हे-नन्हे पाँव तेरे होले-होले चल ।।
पाप धरा पर है गहराया ।
मानव पर दानव का साया ।
है प्रभु देना बुद्धि-बल ।
नन्हे-नन्हे पाँव तेरे होले-होले चल ।।
शान्ति का पाठ पढ़ाता भारत ।
विश्व गुरु कहलाता भारत ।।
ज्ञान की गंग रहे अविरल ।
नन्हे-नन्हे पाँव तेरे होले-होले चल ।।
गौरव गान हिमालय गाता ।
मन्त्र मुग्ध सुर-पुर ललचाता ।।
चन्दन माटी अमृत जल ।
नन्हे-नन्हे पाँव तेरे होले-होले चल ।।

जीवन झूठ झमेले में




जीवन झूठ झमेले में ।
खो मत जाना मेले में ।।
कौन है तू क्या काम है तेरा ।
सोचना बन्धु अकेले में ।।1।।
क्या लाया है क्या दे जाएगा ।
क्यों उलझा है धेले में ।।2।।
कोड़ी-कोड़ी माया जोड़ी ।
रह जाएगी थेले में ।।3।।
सुन्दर काया पर इतराया ।
बह जाएगी रेले में ।।4।।