Tuesday 6 January 2015

बे मेलो का मेल (व्यंग्य)




कुट्टी चुप्पी खो-खो कैसा बेमेलों का मेल ।
राजनीति बन गई रे बच्चों का खेल।।
अगड़े पिछड़ गये पिछड़े बिछुड़ गये ।
दलितों को रौंद नेता आगे निकल गये ।
दिलों को दिलों से दूर दिया है धकेल।
राजनीति बन गई बच्चों का खेल ।।1।।
चाहे जब सरकार गिराये चाहे जब मतदान ।
माली हालत देश की हो गई है बेजान ।।
जाग जाओ सुधि जनों डाल दो नकेल ।
राजनीति बन गई रे बच्चो का खेल ।।2।।
सब कुछ डकार गये अब क्या गोबर खाएंगे ।
मतदाता के पास कौनसी  सूरत लेकर जायेंगे ।।
गांव बोले न बोले बयरा बोले रे पटेल ।
राजनीति बन गई रे बच्चो का खेल ।।3।।
गद्दारो के आगे सारा देश गूंगा है ।
भारत के सपूतों को क्या सांप सूंघा है ।।
भूत का साया है या लागी रे चुड़ैल ।
राजनीति बन गई रे बच्चो का खेल ।।4।।

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