Tuesday 6 January 2015

स्वर्ण चिरैया (व्यंग्य)




स्वर्ण चिरैया कथा पुरानी ।
सुनो सुनाऊं में नई कहानी ।.
कई रानीयों का एक राजा ।
कोई खीचे पगड़ी कोई पजामा ।।                  
बैठी हुक्म चलाए पटरानी ।
सुनो सुनाऊं मै नई कहानी ।।
झूठे वादे सौगंध खाले।
एक दूजे पर पंक उछाले
भदरंगे रंग रंगी राजधानी ।
सुनो सुनाऊं मै नई कहानी ।।
दुराचरण घपले घोटाले ।
झूठ फरैबी धन्धे काले ।
मौन है सच सो गई जवानी ।
सुनो सुनाऊं मै नई कहानी ।।
देवालय वीरान पड़ा है ।
न्यायालय में राम खड़ा है ।.
रावण राज करे मनमानी ।
सुनो सुनाऊं मै नई कहानी ।।

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