त्वेश या आवेश
अमित जटिलता
अर्क सा तमतमाता
तुम्हारा रुप
अशांत मुख पर
शशि सी शीतलता
ढूंढती
उजड़ बाग की
पग डण्डी पर
भटकती
सुमनो सी अभिराम
स्वच्छ सांझ-सी
खिली-खिली
मेरी कल्पना !
और तुम ?
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