प्रीत
धुनी-धुन मधुर कंठनी कोयलिया बोली ।
मदमाता
फागुन ले आया कोशरिया होली ।।
भीगा
तन-मन गोरी का, भीगी अंगिया चोली ।
रंग लाज
का नयनों में , गालों पर प्रेम रंगोली ।।
श्याम रंग
में रंगी राधिका , कान्हा संग डोली ।
मदमाता
फागुन ले आया केशरिया होली ।।1।।
रस रंग
बरसे अंबर से धरती की चूनर भीगे ।
झूमें
नाचे गाये मानव देवों के मन रीझे।।
ऋतु ने
मंद बयारों मं समरस की मद घोली ।
मदमाता
फागुन ले आया केशरिया होली ।।2।।
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